The History Of Bodhidharma ( बोधिधर्म) Bodhidharma the Beginnings of Kung Fu

भगवान बुद्ध के एक भारतीय भिक्षु का नाम है बोधिधर्म। बोधिधर्म के माध्यम से ही चीन, जापान और कोरिया में बौद्ध धर्म का विस्तार हुआ था। 520-526 ईश्वी में चीन जाकर उन्होंने चीन में ध्यान संप्रदाय की नींव रखी थी जिसे च्यान या झेन कहते हैं। ओशो रजनीश ने बोधिधर्म के बारे में बहुत कुछ कहा है।
माना जाता है कि यह भिक्षु दक्षिण भारत के कांचीपुरम के राजा सुगंध के तीसरे पुत्र थे। बौद्ध धर्म के ज्ञान को भगवान बुद्ध ने महाकश्यप से कहा। महाकश्यप ने आनंद से और इस तरह यह ज्ञान चलकर आगे बोधिधर्म तक आया। बोधिधर्म उक्त ज्ञान व गुरु शिष्य परंपरा के अट्ठाइसवें गुरु थे।
उत्तरी चीन के तत्कालीन राजा बू-ति एक बोधिधर्म से प्रेरित थे। बू-ति के निमन्त्रण पर बोधिधर्म की उनसे नान-किंग में भेंट हुई। यहीं पर नौ वर्ष तक रहते हुए बोधिधर्म ने ध्यान का प्रचा
र-
प्रसार किया।
माना जाता है कि बोधिधर्म जब तक चीन में रहे मौन ही रहे और मौन रहकर ही उन्होंने ध्यान-सम्प्रदाय की स्थापना कर ध्यान के रहस्य को बताया। बाद में उन्होंने कुछ योग्य व्यक्तियों को चुना और अपने मन से उनके मन को बिना कुछ बोले शिक्षित किया। यही ध्यान-सम्प्रदाय कोरिया और जापान में जाकर विकसित हुआ।
बोधिधर्म के प्रथम शिष्य और उत्तराधिकारी का नाम शैन-क्कंग था, जिसे शिष्य बनने के बाद उन्होंने हुई-के नाम दिया। पहले वह कन्फ्यूशस मत का अनुयायी था। बोधिधर्म की कीर्ति सुनकर वह उनका शिष्य बनने के लिए आया था।
बोधिधर्म का कोई ग्रंथ नहीं है, लेकिन ध्यान सम्प्रदाय की इतिहास पुस्तकों में उनके कुछ वचनों का उल्लेख मिलता है। माना जाता है कि बोधिधर्म को ही बोधिसत्त्व कहते हैं।


The Beginnings Of Kung Fu.....

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